मानव वृद्धि और विकास
मानव वृद्धि का अर्थ शरीर के विभिन्न भागो एवं अंगो की संख्या, आकार, आयतन तथा वजन में बढ़ोतरी है। जैविक मानवशास्त्री मानव में आयी विभिन्नताओं, प्रकृति में
बदलाव तथा विभेदीकरण पर महत्व देते हैं। यह सारी प्रक्रियाएँ काफी हद तक वृद्धि
में निहित है। इसका प्रारम्भ प्रसव पूर्व
से प्रसव तक और बाल अवस्था से मृत्यु तक चलता रहता है। अत: वृद्धि कोशिकाओं के जीवन संबंधी प्रक्रियाओं
से जुड़ी है।
वृद्धि का आरम्भ एक डिंब (zygote) से होता है
जिसके अंतर्गत तीन प्रकृयाएं होती है-
1. हाइपरप्लेसिया- इसमें समसूत्री विभाजन या Mitotic Division के परिणाम स्वरूप कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि होती
है।
2. हाइपरट्रॉफी- कोशिकाओं के आकार में वृद्धि होती है।
3. एक्रियन- जिसमें अंतराकोशिका पदार्थ में वृद्धि होती है जिससे कोशिका का आयतन बढता है।
इस प्रकार वृद्धि हाइपरप्लेसिया,
हाइपरट्राफी तथा एक्रियन का बाहरी रूप है। यह सभी प्रक्रिया जीन में कोशिकाओं के
अंदर होती हैं। जिसके
कारण शरीर का आकार-प्रकार वजन इत्यादि बढ़ता है। इस प्रकार वृद्धि एक मात्रात्मक प्रक्रिया है।
मानव विकास-
विकास जीवित तत्वों की वह विशेषता है। इस प्रक्रिया के
अंतर्गत कोशिकाओं का विशषीकरण विभेदीकरण तथा परिपक्वता आती है। विकास किसी एक
दिशा में न होकर कई दिशाओं में एक साथ चलता है। यह गुणात्मक प्रक्रिया है । विकास के अंतर्गत 3 परिक्रियाएँ होती हैं।
1. विभेदीकरण (Differentiation)- इनमें कोशिकाओं के स्थान के अनुसार उनके कार्य का निर्धारण होता है।
2. विशेषीकरण या विशिष्टकरण (Optimal Maturity)- - इसके अतंर्गत
कोशिकाओं का विशेषीकृत कोशिकाओं में परिवर्तन तथा विभिन्न शारीरिक अंगों में विशेषी
करण आना।
3. परिपक्वता (Specialization)- - इसका अर्थ होता है बिना आकार अथवा संख्या में परिवर्तन हुई शारीरिक
अंगो का श्रेष्ठतम क्रिया करना
इस प्रकार विकास एक गुणात्मक प्रक्रिया है। यदि वृद्धि शरीर के आकार-प्रकार वजन आदि में
परिवर्तन से संबंधित है तो विकास मनोवैज्ञानिक, विचार, प्रज्ञा से संबंधित है।
1. टैनर महोदय के अनुसार ''वृद्धि एक गति के अनुरूप है तथा शरीर के आकार और प्रारूप
में परिवर्तन है वही विकास अतिविशिष्ट बदलाव को दर्शाता है।''
2. ब्रिटिश चिकित्सा शब्दकोश के अनुसार ''विकास एक क्रम बद्ध बदलाव है,
जिसमें भ्रूण,एम्ब्रियों से एक परिपक्व शरीर में परिवर्तित होता है, इसमें शरीर की विभिन्न
भागों का प्रारम्भिक अवस्था से परिपक्वता की अवस्था तक पहुचना आवश्यक होता है।''
3. वीस (Weiss) महोदय के अनुसार ''वृद्धि में कोशिकाओं की संख्या, आकार, भार कोशिकाओं का विभाजन प्रोटीन संश्लेषण इत्यादि
अंतरनिहित हैं।