लेक्चर २ शारीरिक मानव विज्ञान की परिभाषाएँ
काइट महोदय के अनुसार- शारीरिक मानव विज्ञान दैहिक
लक्षणों का अध्ययन है।
Hoebel (हॉबेल) के अनुसार- शारीरिक
मानव विज्ञान मानव नस्ल (Human Race) के शारीरिक लक्षणों
का अध्ययन है।
Herskovits (हर्सकोविट) के मतानुसार:-मानव विज्ञान मानव
जीव विज्ञान का एक रूप है।
व्हाइट महोदय का मानना था कि शारीरिक मानवविज्ञान का मुख्य उद्देश्य मानव का उद्विकास तथा मानव जनसंख्या का विस्तार किस प्रकार हुआ यह समझाना है|
इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि शारीरिक मानवविज्ञान की
विषय वस्तु मानव जीवाष्म का अध्ययन करना तथा मानव समूह में विभिन्नताओं को आनुवंशिकी
के माध्यम से समझाना है।सरल शब्दों में शारीरिक मानवविज्ञान को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है "शारीरिक मानवविज्ञान, मानवविज्ञान की वः शाखा है जिसमें हम मानव के जैविक पक्ष का मानव की उत्त्पत्ति से लेकर वर्तमान तक का समग्रता से वैज्ञानिक अध्ययन करतें है."
- जहाँ तक प्राचीन काल के मानवों के अध्ययन का प्रश्न है वह जीवाश्म पर आधारित होता है। वह मानव विज्ञान जो जीवाश्म के आधार पर मानव के उद्विकास को समझने का प्रयास करते हैं उन्हें Palo Anthropologist कहा जाता है।
- दूसरे प्रकार के मानव विज्ञानी जिनका मुख्य विषय मानव के निकट अन्य प्रधान को या Primates के शारीरिक लक्षणों एवं व्यवहारों का पता लगाते हैं उन्हें primatalogist कहते हैं।
- तीसरे प्रकार के शारीरिक मानवशास्त्री मानव जाति में पाये जाने वाले शारीरिक विभिन्नताओं एवं आनुवांशिकी का अध्ययन करते हैं, उन्हें Biological Anthropologist कहा जाता है।
क्या शारीरिक मानव
विज्ञान को जैविक मानवविज्ञान कहा जा सकता है?
लास्कर महोदय के
अनुसार:-
शारीरिक मानव विज्ञान में 9 विषयों का अध्ययन होता
है, निम्नलिखित में से प्रथम पाँच परम्परागत शारीरिक मानव विज्ञान की विषय वस्तु
माने जा सकते हैं और अन्य चार जैविक मानव विज्ञान के आयाम माने जा सकते
हैं:-
1. हड्डी एवं दाँतों का प्रारूप
2. हड्डी और दाँतों के आधार पर आयु, लिंग और नस्ल की पहचान करना।
3. मानव संवृद्धि (Human growth)
4. शरीर संरचना (Body Structure)
5. शरीर
निर्माण (Body construction)6.मानव आनुवंशिकी
7. सिरोलोजी
8.त्व्चारेखीय विज्ञान
9.जनसंख्या अध्ययन
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